Dhanteras Par Kavita: धनतेरस भारतीय त्योहारों में एक महत्वपूर्ण पर्व है, जो दीपावली के ठीक पहले आता है। यह दिन धन के देवता कुबेर और आयुर्वेद के देव धन्वंतरि की पूजा-अर्चना के लिए विशेष माना जाता है। इस दिन लोग अपने घरों में समृद्धि और स्वास्थ्य की कामना के साथ धन, सोना-चांदी और बर्तन खरीदते हैं।
धनतेरस पर हिंदी कविताएँ (Dhanteras Par Kavita) इस त्योहार की भावनाओं को, परिवार और समाज के बीच संपत्ति, समृद्धि और खुशहाली की कामना को शब्दों में पिरोती हैं। ये कविताएँ हमारे पारंपरिक जीवन और सांस्कृतिक मान्यताओं को एक सुंदर अभिव्यक्ति देती हैं।
यहाँ कुछ सुंदर और प्रेरणादायक कविताएँ प्रस्तुत हैं जो धनतेरस के पावन पर्व की गरिमा को दर्शाती हैं।
धनतेरस का पावन पर्व (Dhanteras Par Kavita)
कार्तिक मास है आया धनतेरस का दिन है लाया,
लक्ष्मी गणेश जी विराजे घर में सदा रहे सुखों की छाया।
दीप जले खुशियां बढ़े जीवन हो सबका रोशन,
मांगे दुआ में माता से जगमगाते रहे हमारा घर आंगन।
फैली है मधुर सी बेला सबके मन में है बस यही आस,
मां लक्ष्मी की कृपा बरसे, हो धनवंतरी का वास।
हो अपार सुख-समृद्धि, होगा दुख का पूर्ण गमन,
जब सब मिलकर करें घर में धनतेरस का आगमन।
आभूषण खरीदे अर्धांगिनी भरे गहनों का भंडार,
करें विचार कुबेर का मांगे आशीर्वाद बारंबार।
मिले अद्भुत आनंद मनाने में यह पावन त्यौहार,
मन में उत्सुकता लेकर ढूंढे शुभ समय का वार।
ना हो कम हर्षोल्लास, यह दिन बांटे हैं अपार कामयाबी,
माँ लक्ष्मी का हो आगाज हमेशा बोले सारे व्यापारी।
शुभ दिन का है इंतजार जो न्योता देकर बुलाये दिवाली,
त्तम ,निराशा ,द्वेष की ढ़ह दीवार काली।
निकले हैं सागर मंथन से, करके धारक अमृत क्लेश,
लाये है औषध की माला किया सब पीडाओं को वश।
हो अनंत खुशहाली, दिल की डोर प्रेम से है बांधी,
बना रहे स्नेह मां लक्ष्मी का गणपति के संग रिद्धि सिद्धि है लानी।
धन का हो प्रकाश, धरती चमके एवं जगमग आकाश,
करें गुजारिश हाथ जोड़कर पूरी हो प्रत्येक आस।
धनतेरस का उजियारा (Dhanteras Par Chhoti Kavita)
धनतेरस का दिन है आया,
खुशियों की बौछार है लाया।
सोने-चाँदी की चमक है छाई,
हर ओर रौनक है छाई।
दीप जलें हैं द्वार-द्वार,
लक्ष्मी-गणेश का हो सत्कार।
सजे बाजार रंग-बिरंगे,
हर घर में खुशियों के रंग चढ़े।
धन के देवता का मान करें,
प्रेम से सबका सम्मान करें।
संपत्ति से भरे हर घर आँगन,
सुख-समृद्धि से हो जीवन दामन।
धनतेरस का यह पावन त्योहार,
लाए हर दिल में प्यार ही प्यार।
स्वस्थ रहें, समृद्धि बढ़ाएं,
सब मिलजुलकर त्योहार मनाएं।
इस धनतेरस का यह है संदेश,
हर दिल हो खुश, दूर हो क्लेश।
धन-धान्य से भरे सबके भंडार,
यही कामना है बारंबार।
धनतेरस का आगमन (Kavita For Dhanteras)
धनतेरस का करो स्वागत
गाओ स्तुति जोरों से,
बजे नगाड़े गलियों में
पटाखे बजे शोरों से।
आया रे दिन खुशियों का
फैली है उजियारी,
मानो जैसे हो धन की वर्षा
बात करें व्यापारी।
मां लक्ष्मी, प्रभु गणेश का
हम मिलकर करें गुणगान,
चारों तरफ हाथ जोड़कर
हो रहे हैं मां तेरे गान।
होता नहीं इंतजार इस दिन
का ये है अनमोल दिवस,
जो रखता है सामर्थ
करने में हमारे कष्टो को वश।
दीप जले ज्योति जले
लाएं घर गणेश लक्ष्मी,
पर रहे अधूरा साथ,
जब तक ना हो संग मां सरस्वती।
जगमग हो सारा संसार
मिलकर पावन पर्व मनाते हैं,
हम सारे मिलजुल कर धनवंतरी
मां लक्ष्मी को आज मनाते हैं।
कहते हैं खरीदों सोना या चांदी
या लाओ आभूषण,
ना हो कभी भंडार खाली
कृपा से किसी भी क्षण।
चलता रहे कारोबार,
बढ़ता रहे स्नेह और प्यार,
होती रहे धन की बौछार
क्योंकि यह है धनतेरस का त्यौहार।
करें निर्मल निर्भय मन को
शुभ संकल्प जगाएं,
शुद्ध भावना की महक से
पूरे जहां को महकाए।
दीप जलते रहे
हर घर में होती रहे खुशहाली,
धनतेरस बरसे कृपा
सब पर होती रहे रोज दिवाली।
Dhanteras Par Kavita: धनतेरस का त्यौहार समृद्धि, खुशहाली और आरोग्य का प्रतीक है। इस दिन की कविताएं हमें न केवल धन, बल्कि संतोष और सुख की भी महत्ता का स्मरण कराती हैं। जीवन में समृद्धि के साथ-साथ सेहत और सद्भाव का महत्व हमें इस पर्व से सीखने को मिलता है।
धनतेरस की कविताओं (Dhanteras Par Kavita) के माध्यम से हम न केवल माता लक्ष्मी का स्वागत करते हैं, बल्कि अपने जीवन में सकारात्मकता और उत्साह का संचार भी करते हैं। यह त्यौहार हमें सिखाता है कि धन और भौतिक सुखों के साथ आत्मिक शांति और संतोष भी अनमोल हैं।
“इस धनतेरस, आपके जीवन में सुख, शांति, और समृद्धि का दीपक सदैव जलता रहे।” धनतेरस की ढेरों शुभकामनाएँ!
Written By:- Aashu Sharma
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