Earth Day Poem in Hindi: आज की हमारी हिंदी कविता आगामी विश्व पृथ्वी दिवस पर जागरूकता फैलाने के लिए। हर साल World Earth Day पर कई तरह के कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं, जिसमें कुछ प्रेरक कविताएं, कहानियों और स्लोगन द्धारा पृथ्वी के महत्व को समझाया जाता है मैं उम्मीद करती हूँ कि यह पृथ्वी दिवस (earth poem in hindi) पर लिखी कविता आपके स्कूल/कॉलेज में प्रस्तुति और भाषण देने के लिए सर्वोत्तम होगी।
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Poem on Earth Day in Hindi – निकल रहे हैं प्राण
निकल रहे हैं प्राण।
कोई सुन ले तो,
दे दो उसे जीवनदान।
सूख रहे हैं हलक,
मरुस्थल है दूर तलक।
सांस-सांस में कोहरा है,
इस दर्द से कोई रो रहा है।
सुन ले कोई चीत्कार,
दे दो उसे भी थोड़ा प्यार।
प्रकृति की हो रही विकृति,
अवैध खनन के नाम क्षति।
पहाड़ों को जा रहा काटा,
बिगड़ रहा है संतुलन,
हो रहा है बहुत ही घाटा।
भूकंप, सूनामी धकेल रही,
हमें रोज मौत के मुंह,
मंजर ऐसा देख कांप रही है रूह।
फिर भी बन रहा इंसान अनजान,
लिख रहा खुद ही मौत का गान।
फूंक रहीं चिमनियां धुएं की भरमार,
निकाल रहे कारखाने,
रासायनिक अपशिष्ट की लार।
नदियों के जल में मिल रहा मल,
सोचो, कैसा होगा आने वाला कल?
मृदा का हो रहा अपरदन,
ध्वनि के नाम पर भी प्रदूषण।
विकास का ऐसा बन रहा ग्राफ,
जंगल और जंतु दोनों हो रहे साफ।
इसलिए जानवर कर रहे हैं,
मानव बस्ती की ओर अतिक्रमण,
डर के मारे दिखा रहे हैं लोग उन्हें गन।
दरअसल जन बन रहे हैं जानवर,
जानवर बन रहे हैं जन,
विलुप्त हो रहे हैं संसाधन।
कर रहे हम जीवन से खिलवाड़,
काट रहे हरे-भरे वृक्ष,
कर रहे हैं पर्यावरण से छेड़छाड़।
गांव हो रहे हैं खाली,
नगरों की हालत है माली।
जनसंख्या में हो रही है वृद्धि,
नेता मान रहे इसे ही उपलब्धि।
केवल गायब नहीं हो रहा पृथ्वी से पानी,
हो रहा है लोगों की आंखों से भी गायब,
शर्म और लाज का पानी।
कोई नेता नहीं लड़ता,
पृथ्वी बचाने पर इलेक्शन।
कोई नहीं करता,
पर्यावरण की दुर्गति पर अनशन।
परियोजनाओं के नाम पर,
किया जा रहा पृथ्वी को परेशान।
कोई मेधा, कोई अरुंधति बन,
दे दो उसे जीवनदान।
मुझे आशा है कि ये “पृथ्वी दिवस पर हिंदी में कविता” आपको पसंद आएगी। अगर आपको ये “पृथ्वी दिवस पर कविता” पसंद है तो कृपया Lifewingz.com को Follow और like करें और अपने फेसबुक,व्हाट्सएप पर इस कविता को शेयर करें।
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