दोस्तों! आज हम आपके लिए हिंदी कविता “कैसा ये दौर है आया” लेकर आए हैं! जिसमें बताया गया है कि किस तरह से हमे अपने घर में कैद हो कर रहना पड़ रहा है! यह एक heart touching poem है हमे अपने और अपने परिवार की सुरक्षा करने के लिए यह कदम उठाना है! ना खुद बाहर जाना है ना किसी को बाहर जाने देना है!
कैसा ये दौर है आया
आज इंसान घरों में
जानवर सड़कों पर है,
बिना अपराध किए जेल में है
सोचो आज ऐसा है
तो कल कैसा होगा,
नहीं रुके तो
कल बर्बाद हो जाएगा
बिना बात के जीवन नष्ट हो जाएगा,
रोक लो खुद को
नहीं तो हमेशा हम इतिहास
बन कर रह जाएंगे,
धरती हमारी माँ है
माँ ने हमेशा हमे है संभाला,
अब हमारी भारी है
संभाल लो खुद को
नहीं तो माँ को खो दोगे!
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by Shubhi Gupta ( शुभी गुप्ता )
Story and Poem Writer
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