डरना नहीं रुकना नहीं
महामारी है ये
डाराती है ये
आंखें दिखती है
डर के नहीं, डट के सामना करना है,
समय का पाईया है
वापस सब वैसा होगा जैसा था कभी,
कुछ समय की बात है
घबराना नहीं, रुकना नहीं
चलते जाना है,
मंजिल दूर जरूर है
लेकिन एक दिन तो मंजिल मिल जानी है,
घबरा के नहीं
शूर वीर की तरह लड़ जाना है
सब्र तू कर एक दिन सब सही हो जाना है!
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by Shubhi Gupta ( शुभी गुप्ता )
Story and Poem Writer
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धन्यवाद!
Many people can now chill by reading this
Thanks Hardik for your valuable comment!
By
Shubhi
very nice poem caronavirous
Thanks Manoj! Share it with your friends!
from
Shubhi