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क्यों कहते है – “जय माता दी”? नारी की आवाज!?

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Hindi poem on girl respect: आज की हमारी हिंदी कविता नारी पर लिखी गई बहुत ही सुंदर कविता है। (hindi poem on girl harassment) नवरात्रि का त्यौहार चल रहा है, और हम सब लोग “जय माता दी” भी कहते है। लेकिन हम अपनी बहू बेटियों को वो सम्मान नहीं देते, जो एक बेटी का और एक औरत का हक होता है।



मुझे है, फेंका, मुझे है रोंदा, मुझे है बेचा,
ये क्यों भूल जाते हैं इंसान,
कि मुझसे ही तो उनका अस्तित्व है ?

फेंकते हुए दर्द नहीं आता।
रोंदते हुए घिन नहीं अती।
बचते हुए शर्म नहीं आती।

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तो क्यों कहते है, जय माता दी,
माता भी तो एक स्त्री है,

इंसान जब ना करे किसी स्त्री की क़दर, ?
उसे कोई हक नहीं माता का नाम पुकारने का।।

क्या गलती है मेरी,
जो हुआ इंसान ऐसा शैतान,

ये असीम गुनाह कर के भी,
कैसे खुद से निगाह मिला पाता है इंसान।

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आज के दौर में कहाँ हैं लड़कियां,
लड़कों से कम,

हर क़दम कंधा मिलाए खड़ीं हैं लड़कियां,
तब भी हमें अबला नारी क्यों कहते हैं,ये लोग

हमें भी वो समान दो। लेकिन,
मुझे है फेंका, मुझे है रोंदा,
मुझे है बेचा?


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कविता अगर दिल को छूह जाये, तो शेयर ज़रूर कीजियेगा। ?
by Shubhi Gupta ( शुभी गुप्ता )
Story and Poem Writer

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