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ज़िन्दगी एक किताब है। ( Hindi Poem On Life )

hindi poems on life

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क्या जिंदगी सच में किताब है

कोई कहता है, खाली किताब है

कोई मानता है खाली पन्ना है

ना जाने कौन सच कहता है

मैंने तो पढ़ने की बहुत कोशिश की

पर शायद मैं इसके काबिल नहीं?

गलती बहुत की मैंने

पर उन ग़लतियों से सीख भी ली मैंने

अनजाने में जो भूल की मैंने

उस भूल का अंजाम अभी बाकी था

अंजाम आया जब

मैं मदहोशी में था

होश में आया तो सब कुछ खो बैठा था

खुद को अकेला देखा मैंने

पर मन में ठानी थी मैंने एक बात

एक दिन तो कुछ बदलेगा

जब दिन वह आया

इंतजार जिसका मुझे बरसों से था

दिखलाई उसने मुझको एक नई सुबह?

अभी तो गलतियां बहुत बाकी है

छोड़ दिया जीवन अपना

कभी तो कुछ बदलेगा

कभी तो कुछ अच्छा होगा?

इस किताब को पढ़ने के मैं काबिल नहीं!

 


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by Shubhi Gupta 

Story and Poem Writer

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1 thought on “ज़िन्दगी एक किताब है। ( Hindi Poem On Life )”

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