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Happy Holi Poems 2025 | होली पर मजेदार कविताएं

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Holi in hindi: आप सभी को होली की हार्दिक शुभकामनाएं! आज के इस hindi poem में मैं आपके साथ होली की (Holi poems in hindi) कविताएं, शेयर करने जा रही हूँ। Holi Kavita in Hindi इस साल holika dahana 13 March 2025 और 14 March 2025 को holi है।

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होली आई, रे होली आई
रंग-बिरंगे रंग उड़ाती आई,

धूम मचाती होली आई
खुशियां बाँटती होली आई,

बच्चो की ये टोली साथ अपने पिचकारी लाई
देखो घरो से केसी ये खुशबू आई,

गुंजियो की महक ने बचपन की याद है दिलाई
सारे जग में रंगों की ये फुलवाड़ी खिल उठी,

जिसे देख मन मगन हो जाए
देखो होली आई होली आई!


केशर की, कलि की पिचकारी
पात-पात की गात संवारी।

राग-पराग-कपोल किए हैं,
लाल-गुलाल अमोल लिए हैं

तरू-तरू के तन खोल दिए हैं,
आरती जोत-उदोत उतारी-
गन्ध-पवन की धूप धवारी।

गाए खग-कुल-कण्ठ गीत शत,
संग मृदंग तरंग-तीर-हत
भजन-मनोरंजन-रत अविरत,

राग-राग को फलित किया री
विकल-अंग कल गगन विहारी।


आई होली, आई होली।
रंग-बिरंगी आई होली।।

मुन्नी आओ, चुन्नी आओ,
रंग भरी पिचकारी लाओ,

मिल-जुल कर खेलेंगे होली।
रंग-बिरंगी आई होली।।

मठरी खाओ, गुंझिया खाओ,
पीला-लाल गुलाल उड़ाओ,

मस्ती लेकर आई होली।
रंग-बिरंगी आई होली।।

रंगों की बौछार कहीं है,
ठण्डे जल की धार कहीं है,

भीग रही टोली की टोली।
रंग-बिरंगी आई होली।।

परसों विद्यालय जाना है,
होम-वर्क भी जंचवाना है,

मेहनत से पढ़ना हमजोली।
रंग-बिरंगी आई होली।।


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फागुन की हुई है शुरुवात
देखो कैसे लगा है खुशियों का ये मेला

पुरानी- दुश्मनी भुला सब गले यू लग बैठे,
देखो कैसे गेहूं कि फसल लेहरा

होली का त्यौहार है आया
अपने साथ अनेकों उपहार है लाया,

पिचकारी की वो धार
गुलाल की को बोछार

गुंजिओ का वो स्वाद,
गोल- गपो की वो चाटकर

ऐसे मनाएंगे होली 
जैसे कभी पहले ना खेली होगी होली!


कैसी होरी खिलाई।
आग तन-मन में लगाई॥

पानी की बूँदी से पिंड प्रकट कियो सुंदर रूप बनाई।
पेट अधम के कारन मोहन घर-घर नाच नचाई॥

तबौ नहिं हबस बुझाई। भूँजी भाँग नहीं घर भीतर,
का पहिनी का खाई। टिकस पिया मोरी लाज का रखल्यो,

ऐसे बनो न कसाई॥ तुम्हें कैसर दोहाई।
कर जोरत हौं बिनती करत हूँ छाँड़ो टिकस कन्हाई।

आन लगी ऐसे फाग के ऊपर भूखन जान गँवाई॥
तुन्हें कछु लाज न आई।


तुमको रंग लगाना है
होली आज मनाना है।

प्रतिकार करो इनकार करो
पर रगों को स्वीकार करो

रगों से तुम्हें नहलाना है
होली आज मनाना है।

भर पिचकारी बौछार जो मारी
भीगी चुनरी भीगी साड़ी

अपने ही रंग में रंगवाना है
होली आज मनाना है।

अबीर गुलाल तो बहाना है
दूरियाँ दिलों की मिटाना है

तो कैसा ये शरमाना है
होली आज मनाना है।


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फागुन के महीने में मनाएं जाने वाला होली का त्योहार होलिका की दहन की एक रात पहले ही से शुरू हो जाता है। होली बच्चे-बूढों सभी के लिए ख़ुशी का पैगाम लेकर आती है। रंग और गुलाल के इस त्योहार को प्रेम का प्रतीक भी माना जाता है। दोस्तों ! कविता अगर दिल को छूह जाये, तो शेयर ज़रूर कीजियेगा। 

आज की हमारी poems “ होली आई! ” और “देखो अपने साथ क्या-क्या है होली लाई !” कैसी लगी? हमे comments करके जरुर बताएँ ! ऐसी ही अन्य Hindi poem, article, motivational story, quotes, thoughts, या inspire poem इत्यादि पढ़ने के लिए हमें follow ज़रूर करें!
धन्यवाद!

Author (लेखक)

  • lifewingz writer

    शुभी गुप्ता को कवितायेँ और शायरी में पिछले 5+ साल का अनुभव है। कविता, घरेलु उपाए, महिलाओं पर लिखना इनका पसंदीदा विषय है। इसके अलावा इनको अलग-अलग जगह घूमना और वहां के लोगों से मिलकर उनकी संस्कृति के बारे में जानना बहुत पसंद है। ये खाली समय में लिखना पसंद करती हैं। आकृति से आप lifewingz से संपर्क कर सकते हैं।

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