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Jagannath Yatra: जगन्नाथ रथ यात्रा का दिव्य रहस्य: 10 बातें जो हर भक्त का हृदय छू लेंगी

Jagannath Yatra


आषाढ़ का महीना, पुरी की पावन धरती, और लाखों कदमों की आहट जो एक ही दिशा में बढ़ रही है। हवा में शंख, घंटे और ‘जय जगन्नाथ’ के नारों की गूंज… यह दृश्य है उस अलौकिक पर्व का, जब सृष्टि के स्वामी स्वयं अपने मंदिर के गर्भ गृह से निकलकर अपने भक्तों को दर्शन देने आते हैं। यह सिर्फ एक यात्रा नहीं, बल्कि आस्था, भक्ति और समानता का जीवंत महाकाव्य है।

आइए, इस दिव्य रथ यात्रा के उन 10 अद्भुत पहलुओं को जानते हैं, जो इसे दुनिया का सबसे अनूठा उत्सव बनाते हैं।

1. तीन रथ: देवत्व के तीन अद्भुत स्वरूप
यह यात्रा केवल भगवान जगन्नाथ की नहीं, बल्कि उनके पूरे परिवार की है। इसके लिए तीन भव्य और दिव्य रथों का निर्माण होता है। सबसे आगे बड़े भाई बलराम जी का रथ, मध्य में बहन देवी सुभद्रा का और अंत में स्वयं भगवान जगन्नाथ का रथ चलता है। यह ब्रह्मांडीय परिवार जब सड़कों पर निकलता है, तो हर भक्त उनके दिव्य स्वरूप को देखकर धन्य हो जाता है।

2. रथों के नाम और रंग: हर रथ की अपनी पहचान
ये केवल रथ नहीं, बल्कि चलते-फिरते मंदिर हैं, जिनकी अपनी विशिष्ट पहचान है।

  • बलराम जी का रथ ‘तालध्वज’ कहलाता है, जो लाल और हरे रंग से सुशोभित होता है।
  • देवी सुभद्रा का रथ ‘दर्पदलन’ या ‘पद्म रथ’ है, जो काले/नीले और लाल रंग की आभा लिए होता है।
  • भगवान जगन्नाथ का रथ ‘नंदीघोष’ या ‘गरुड़ध्वज’ कहलाता है, जो सूर्य की तरह लाल और पीले रंग में चमकता है।

3. दिव्य ऊँचाइयाँ: धरती पर स्वर्ग का अहसास
इन रथों की विशालता देखकर ऐसा लगता है मानो स्वर्ग स्वयं धरती पर उतर आया हो। भगवान जगन्नाथ का ‘नंदीघोष’ रथ लगभग 45.6 फीट ऊँचा, बलराम जी का ‘तालध्वज’ 45 फीट और देवी सुभद्रा का ‘दर्पदलन’ 44.6 फीट ऊँचा होता है। इनकी भव्यता भक्तों के मन में श्रद्धा और विस्मय एक साथ भर देती है।

4. निर्माण की पवित्रता: जहाँ धातु का स्पर्श भी है वर्जित
इन रथों का निर्माण किसी साधारण लकड़ी से नहीं होता। इसके लिए नीम की पवित्र और परिपक्व लकड़ियों (‘दारु’) का चयन होता है, जो बसंत पंचमी से शुरू होता है। सबसे अद्भुत बात यह है कि इन विशाल रथों के निर्माण में किसी भी प्रकार की कील, काँटे या धातु का प्रयोग नहीं होता। यह प्राचीन भारतीय शिल्प कला का एक जीवंत प्रमाण है।

5. अक्षय तृतीया से आरंभ
रथों के निर्माण का पवित्र कार्य अक्षय तृतीया के शुभ दिन से प्रारंभ होता है, जो इस पूरी प्रक्रिया को और भी मांगलिक और दिव्य बना देता है।

6. छर पहनरा: जहाँ राजा भी हैं एक सेवक
रथयात्रा आरंभ होने से पहले एक अनूठी रस्म होती है- ‘छर पहनरा’। इसमें पुरी के गजपति राजा सोने की झाड़ू से रथों और उनके मार्ग को साफ करते हैं। यह रस्म यह संदेश देती है कि भगवान की दृष्टि में कोई बड़ा या छोटा नहीं है, स्वयं राजा भी उनके प्रथम सेवक हैं। यह समानता का एक अद्भुत प्रतीक है।

7. महायात्रा: गुंडीचा मंदिर की ओर
आषाढ़ शुक्ल द्वितीया को जब ढोल-नगाड़ों के बीच भक्त इन रथों की रस्सियों को खींचते हैं, तो वह क्षण अविस्मरणीय होता है। माना जाता है कि रथ खींचने का सौभाग्य जिसे मिलता है, उसके सारे पाप धुल जाते हैं। यह यात्रा जगन्नाथ मंदिर से शुरू होकर भगवान की मौसी के घर, यानी गुंडीचा मंदिर पहुँचती है।

8. सात दिनों का विश्राम और ‘आड़प-दर्शन’
भगवान जगन्नाथ, बलराम और सुभद्रा अपनी मौसी के घर यानी गुंडीचा मंदिर में सात दिनों तक विश्राम करते हैं। यहाँ भक्तों को भगवान के दर्शन का जो अवसर मिलता है, उसे ‘आड़प-दर्शन’ कहते हैं और इसका बहुत बड़ा पुण्य माना जाता है।

9. गुंडीचा बाड़ी: जहाँ हुआ था मूर्तियों का निर्माण
गुंडीचा मंदिर को ‘गुंडीचा बाड़ी’ भी कहते हैं। पौराणिक मान्यता है कि यही वह पवित्र स्थान है जहाँ देवशिल्पी विश्वकर्मा ने इन दिव्य मूर्तियों का निर्माण किया था। इसलिए यह स्थान भगवान के भक्तों के लिए एक महान तीर्थ है।

10. बहुड़ा यात्रा: भगवान की घर वापसी
सात दिन अपनी मौसी के घर विश्राम करने के बाद आषाढ़ महीने के दसवें दिन भगवान अपने मुख्य मंदिर की ओर लौटते हैं। इस वापसी की यात्रा को ‘बहुड़ा यात्रा’ कहा जाता है, जो भक्तों के लिए उतने ही उल्लास का अवसर होता है।


सिर्फ एक यात्रा नहीं, एक जीवंत अनुभव

जगन्नाथ रथ यात्रा केवल एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं है, यह एक ऐसा अनुभव है जो जाति, पंथ और वर्ग की सभी सीमाओं को तोड़ देता है। यह यात्रा हमें सिखाती है कि ईश्वर मंदिरों में ही नहीं, बल्कि अपने भक्तों के बीच, उनके साथ, सड़कों पर भी चलते हैं। यह एकता, भक्ति और निःस्वार्थ सेवा का महापर्व है।

वर्ष 2025 में, यह दिव्य यात्रा 27 जून से आरंभ हो गई है और यह दिव्य यात्रा 08 जुलाई तक चलेगी, एक बार फिर पुरी की सड़कें आस्था के सागर में डूबी है और हर कोई एक स्वर में गा रहा है – जय जगन्नाथ!

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Author (लेखक)

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    मैं, मिनाक्षी वर्मा, पेशे से हिंदी ब्लॉगर हूँ और इस क्षेत्र में मुझे काफी अनुभव हो चुका है। मैं  डाइट-फिटनेस, धार्मिक कथा व्रत, त्यौहार, नारी शक्ति आदि पर लिखती हूँ। इसके इलावा फूड, किड्स बुक्स, और महिलाओं के फैशन के बारे में लिखना मेरे पसंदीदा विषय है।

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