kavita hindi mein “मजबूर है वो क्योकि मजदूर है वो” कोरोनावायरस से सबसे ज्यादा मजबूर हमारे मजदूर हैं, आज की sad poem in hindi उन मजदूर भाईयों को समर्पित है जो पूरे देश में इस जानलेवा वारस का असर फैलने की वजह से … कोरोना वायरस की दहशत के बीच इतनी गर्मी में पैदल निकले घर लौटने को मजबूर है।
तप्ती गर्मी में लौट रहे है वो
कमाने निकले थे दो पैसे
लेकिन छाले ले कर लौट रहे वो
मजबूर है वो क्योकि
मजदूर है वो
आंखों से आंसू बह रहे है
टिप-टिप लेकिन
मंजिल अभी दूर है
घबराएं है वो
हिम्मत नहीं खोई
क्योकि मजबूर है वो
बेगाने शहर में कोई अपना नहीं
खाने को खाना नहीं
सिर छुपाने को छपरा नहीं
इंसान है वो लेकिन मजबूर है वो।।
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by Shubhi Gupta ( शुभी गुप्ता )
Story and Poem Writer
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