इस कविता के द्वारा लेखिका ने krishna poem in hindi, poem on krishna, kavita of hindi, poem on krishna in hindi के ऊपर अपनी भावनाएं व्यक्त की है।
मथुरा में है जन्मा
वृन्दावन में है पला
सबकी आंखों का है ये तारा।
फिर क्यों यशोदा काला टीका लगाए ?
ऐसा प्यारो है ये कृष्णा।।
राधा भी छुप छुप कर
कृष्णा का ही नाम पुकारती है।
मन ही मन क्यों जले राधिका ?
जब यमुना तट पर रास
सहेलियों संग रचये।
ऐसा प्यारो है ये कृष्णा।।
बांसुरी की धुन सुनकर
तन मन ऐसे डोले,
कुछ सुद बुध ना रही है मन में
राधा कृष्ण तो एक ही नाम है।
फिर क्यों डर सखियों को सताए ?
ऐसा प्यारो है ये कृष्णा ।।
जब जब माखन ये चुराए
हर मईया छुप छुप कर देखा करती।
पकड़ में अगर आ जाए तो
हाथों से अपने माखन उसे खिलाएं।
ऐसा प्यारो है ये कृष्णा।
एक बार देख छवि कृष्णा की
हर कोई लीन उसी में हो जाए।
सभी पुकारे राधे कृष्णा
ना जाने कब किस को दर्शन ये से जाए ?
ऐसा प्यारो है ये कृष्णा ।।
दोस्तों अगर कविता दिल को छूह जाए, तो शेयर ज़रूर कीजिएगा।
Krishna poem in Hindi poem by Shubhi Gupta ( शुभी गुप्ता )
(Story and Poem Writer)
इस कविता के द्वारा लेखिका ने krishna poem in hindi, poem on krishna, kavita of hindi, poem on krishna in hindi के ऊपर अपनी भावनाएं व्यक्त की है।