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Neem Karoli Baba Biography in Hindi – Steve Jobs के मार्गदर्शक!

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जय श्री नीम करौली बाबा जी! Neem Karoli Baba Biography in Hindi !! neem karoli baba ki kahani – Neem Karoli Baba Quotes In Hindi

 

नीम करौली बाबा जी (neem karoli baba ) हनुमान जी के भक्त थे। उन्होंने अपने जीवन में लगभग 108 हनुमान मंदिर बनवाए थे। बाबा नीम करौली जी महाज्ञानी और अन्तर्यामी होने के बावजूद भी घमंड नहीं था और वह साधारण जीवन जीते थे!

“सभी सांसारिक चीजों को साफ़ करें.अगर आप अपने दिमाग को  नियंत्रित नहीं कर सकते हैं, तो आप भगवान को कैसे महसूस करेंगे.”                     

 -नीम करोली बाबा

नीम करोली बाबा बनने की कहानी 

बहुत पुरानी बात है। एक युवा योगी लक्ष्मण दास अपनी मस्ती में, हाथ में चिमटा और कमंडल लिये फर्रुखाबाद (उत्तर प्रदेश) से टूण्डला जा रही रेलगाड़ी के पहली क्लास के डिब्बे में चढ़ गए। योगी अपनी ही मस्ती में खोया हुआ था। गाड़ी कुछ देर बाद एक टिकट निरीक्षक वहां आया।

निरीक्षक ने उस योगी को देखा। योगी ने बहुत कम कपड़े पहने हुए थे, अस्त-व्यस्त बाल थे। निरीक्षक को पता चला कि योगी के पास टिकेट नहीं है, तो क्रोधित होकर निरीक्षक योगी को उल्टा सीधा बकने लगा। योगी अपनी मस्ती में मस्त था। इसलिए वह चुप रहा।


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कुछ देर बाद गाड़ी नीब करोरी गांव के छोटे स्टेशन पर रूकी। टिकट निरीक्षक ने योगी को अपमानित करते हुए उतार दिया। योगी ने वहीं अपना चिमटा गाड़ दिया और शांत भाव से बैठ गया।

गार्ड ने हरी झण्डी हिलाई, पर गाड़ी आगे बढ़ी ही नहीं। और तो और पूरी भाप देने पर पहिये अपने स्थान पर ही घुमने लगे। रेल गाड़ी के इंजन की जांच की गयी, तो वह एकदम ठीक था।

अब तो चालक, गार्ड और टिकट निरीक्षक के माथे पर पसीना पर आ गया। कुछ यात्रियों ने टिकट निरीक्षक को सलाह दी कि बाबा को चढ़ा लो, तब शायद गाड़ी चल पड़े।

 

निरीक्षक मरता क्या ना करता, उसने बाबा से क्षमा मांगी और गाड़ी में बैठने का अनुरोध किया। बाबा बोले- चलो तुम कहते हो, तो बैठ जाते हैं। उनके बैठते ही गाड़ी चल पड़ी। इस घटना से वह योगी और नीब करौरी गांव प्रसिद्ध हो गया।

कुछ समय बाद रेलवे डिपार्टमेंट ने उस गांव में एक स्टेशन बनाया बाबा उस घटना के बाद कई साल तक उस गांव में रहे तब से ही लोग उन्हें नीब करोरी वाले बाबा (Neeb Karori Baba) या नीम करोली बाबा (Neem Karoli Baba) के नाम से पुकारने लगे


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कैंची धाम आश्रम और मंदिर निर्माण (KAINCHI DHAM ASHRAM)

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“सभी धर्म समान हैं, सभी एक ही परमात्मा की तरफ जाते है. भगवन सर्वत्र व्याप्त है.”

                                                                                                              -नीम करोली बाबा

बाबा जी ने अपना मुख्य आश्रम नैनीताल (उत्तराखण्ड) की सुरम्य घाटी में कैंची ग्राम (KAINCHI DHAM ASHRAM) में बनाया। यहां बनी रामकुटी में वे प्रायः एक काला कम्बल ओढ़े भक्तों से मिलते थे।

बाबा ने देश भर में 12 प्रमुख मंदिर बनवाये। उनके देहांत के बाद भी भक्तों ने 9 मंदिर बनवाये हैं। इनमें मुख्यतः हनुमान जी के प्रतिमा है। बाबा चमत्कारी पुरुष थे। अचानक गायब या प्रकट होना, भक्तों की कठिनाई को भांप कर उसे समय से पहले ही ठीक कर देना, इच्छानुसार शरीर को मोटा या पतला करना, आदि कई चमत्कारों की चर्चा उनके भक्त करते हैं।

बाबा का प्रभाव इतना था कि जब वे कहीं मंदिर स्थापना या भंडारे आदि का आयोजन करते थे, तो ना जाने कहां से दान और सहयोग देने वाले इकठे हो जाते थे और वह काम भली भांति पूरा हो जाता था।

लेकिन जब बाबा जी को लगा कि उन्हें शरीर त्याग देना चाहिए, तो उन्होंने भक्तों को इसका संकेत कर दिया। इतना ही नहीं उन्होंने अपने समाधि स्थल का भी चयन कर लिया था।

 

“हनुमान चालीसा की हर पंक्ति एक महामंत्र है.”

 -नीम करोली बाबा             

9 सितम्बर, 1973 को वे आगरा के लिए चले। वे एक कापी पर हर दिन राम नाम लिखते थे। जाते समय उन्होंने वह कापी आश्रम की प्रमुख श्रीमां को सौंप दी और कहा कि अब तुम ही इसमें लिखना। उन्होंने अपना थर्मस भी रेलगाड़ी से बाहर फेंक दिया। गंगाजली यह कह कर रिक्शा वाले को दे दी कि किसी वस्तु से मोह नहीं करना चाहिए।

 

neem karoli baba images

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आगरा से बाबा मथुरा की गाड़ी में बैठे। मथुरा उतरते ही वे बेहोश हो गये। लोगों ने जल्दी से उन्हें रामकृष्ण मिशन अस्पताल, वृन्दावन में पहुंचाया, जहां 10 सितम्बर, 1973  की रात में उन्होंने देह त्याग दी और संसार को अलविदा कह दिया।

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Neem Karoli Baba Biography in Hindi

बाबा जी का मूल नाम लक्ष्मीनारायण शर्मा था। उनका जन्म स्थान अकबरपुर (उत्तर प्रदेश) में सन 1900 के आस पास हुआ था। 

नीम करोली महाराज के पिता का नाम श्री दुर्गा प्रशाद शर्मा था। अकबरपुर के किरहीनं गांव में ही उनकी प्रारंभिक शिक्षा हुवी। 11 वर्ष कि उम्र में लक्ष्मी नारायण शर्मा का विवाह हो गया था। बाबा जी ने जल्दी ही घर छोड़ दिया और लगभग 10 वर्ष तक घर से दूर रहे।

एक दिन उनके पिता उनसे मिले और गृहस्थ जीवन का पालन करने को कहा। पिता के आदेश को मानते हुए Neem Karoli Baba घर वापस लौट आये और दोबारा गृहस्थ जीवन शुरू कर दिया।

Neem Karoli Baba जी गृहस्थ  जीवन  के साथ- साथ धार्मिक और सामाजिक कामों  में  सहायता करते थे। Neem Karoli Baba को दो बेटे और एक बेटी हुई।

 

गृह त्याग, भ्रमण और तपस्या –

neem karoli baba old pics

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कुछ समय बाद उनका घर गृहस्थी में उनका मन नहीं लगा और लगभग 1958 के आस- पास बाबा जी ने फिर से घर त्याग कर दिया। Neem Karoli Baba जी अलग- अलग जगह घूमने लगे। इसी भृमण के दौरान उनको लक्ष्मण दास, हांड़ी वाला बाबा, तिकोनिया वाला बाबा आदि नामों से जाना जाने लगा।

ये भी कहा जाता है कि बाबा जी ने मात्र 17 वर्ष की आयु में ज्ञान प्राप्त कर लिया था। नीम करोली बाबा जी ने गुजरात के बवानिया मोरबी में साधना की और वहां वो तलैयां वाला बाबा के नाम से मशहूर हो गए और वृंदावन में महाराज जी, चमत्कारी बाबा के नाम से भी जाने गए।

 

उनकी समाधि वृंदावन में तो है ही, पर कैंची, नीब करौरी, वीरापुरम (चेन्नई) और लखनऊ में भी उनके अस्थि कलशों को भू समाधि दी गयी। उनके लाखों देशी एवं विदेशी भक्त हर दिन इन मंदिरों एवं समाधि स्थलों पर जाकर बाबा का अदृश्य आशीर्वाद ग्रहण करते हैं। 

उत्तराखंड के नैनीताल से 65 किलोमीटर दूर पंतनगर में नीम करौली नाम के एक संन्यासी का आश्रम है। बाबा का 1973 में निधन हो गया था। लेकिन आश्रम में अब भी विदेशी आते रहते हैं। यह आश्रम फिलहाल एक ट्रस्ट चलाता है।

आप सौ साल तक योजना बना सकते हैं. लकिन आप नहीं जानते कि अगले पल क्या होगा.

-नीम करोली बाबा

बताया जाता है कि सबसे ज्यादा अमेरिकी ही इस आश्रम में आते हैं। आश्रम पहाड़ी इलाके में देवदार के पेड़ों के बीच है। यहां पांच देवी-देवताओं के मंदिर हैं। इनमें हनुमान जी का भी एक मंदिर है। भक्तों का मानना है कि बाबा जी खुद हनुमान जी के अवतार थे।

 


नीम करोली बाबा के शब्द:-

बाबा ने एक भारतीय लडक़ी से चार बार पूछा – ‘‘तुम्हें आनंद पसंद है या दु:ख?’’ हर बार लडक़ी ने जवाब दिया – ‘‘मैंने कभी आनंद महसूस ही नहीं किया, महाराजजी, बस दु:ख ही महसूस किया है।’’ आखिर में महाराजजी ने बोला – ‘‘मुझे दु:ख पसंद है। यह मुझे भगवान के पास ले जाता है।’’

भारत में, योग लोगों की रगों में बहता है। – नीम करोली बाबा

अगर आप अपनी मौत के समय एक आम की इच्छा करेंगे, तो आप एक कीड़े के रूप में जन्म लेंगे। अगर आप अगली सांस की भी इच्छा रखेंगे, तो आप दुबारा जन्म लेंगे। – नीम करोली बाबा

source – isha.sadhguru.org


 

बाबा नीब किरोडी आश्रम कुछ हाई प्रोफाइल अमेरिकी लोगों के लिए काम करता रहा है। Julia Roberts, आध्यात्मिक गुरू रामदास, स्टीव जॉब्स और Mark Zuckerberg ये कुछ बडी हस्तियों में से कुछ नाम हैं जिन्हें एक आम से दिखने वाले, कंबल ओढकर रहने वाले एक बाबा की चुंबकीय शख्यित ने बदल दिया।

Neem karoli baba ने ही इन्हें कुछ अच्छा करने के लिए प्रेरित किया। बाबा से प्रेरणा लेने वाली हस्तियों में बेहद लोकप्रिय किताब Emotional Intelligence के लेखक Daniel Goleman, पूर्व राष्ट्रपति वराहगिरी वेंकट गिरी या वी वी गिरी, बिडला ग्रुप के जुगलकिशोर बिडला और यहां तक कि प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू भी शामिल थे।

 

कैंची धाम नैनीताल 

kainchi dham mandir

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अल्मोडा मार्ग पर  नैनीताल से लगभग 17 किलोमीटर एवं भवाली से 9 किलोमीटर पर अवस्थित है  । इस आधुनिक तीर्थ स्थल पर बाबा नीब करौली महाराज का आश्रम है  । प्रत्येक वर्ष की 15 जून को यहां पर बहुत बडे मेले का आयोजन होता है, जिसमें देश-विदेश के श्रद्धालु भाग लेते हैं । इस स्थान का नाम कैंची मोटर मार्ग के दो तीव्र मोडों के कारण रखा गया है । इसका कैंची से कोई संबंध नहीं है।

Source – nainital.nic.in

 

“उनसे हमें यह शिक्षा मिलती है, कि मनुष्य के पास अपार शक्ति और धन-सम्पति होने के बावजूद भी अहंकार नहीं होना चाहिए! और साधारण जीवन जीना चाहिए!”

 

नीम करौली बाबा के बारे में कुछ जानकारी:

 

असली नाम:  लक्ष्मी नारायण शर्मा

उपनाम:  महाराज जी

व्यवसाय: हिंदू गुरु, रहस्यवादी, और हिंदू देवता हनुमान के भक्त

जन्मदिन: 11 सितम्बर 1900

जन्मस्थान: गांव अकबरपुर, फ़िरोज़ाबाद, उत्तर प्रदेश, भारत

उम्र: 11 सितम्बर 1900 से 11 सितम्बर 1973 तक

मृत्यु तारीख: 11 सितम्बर १९७३

मृत्यु का कारण: कोमा

मृत्यु स्थान: वृन्दावन

राशि: कन्या

घर: गांव अकबरपुर, फ़िरोज़ाबाद, उत्तर प्रदेश, भारत

राष्ट्रीयता: भारतीय

धर्म: हिन्दू

जाति: ब्राह्मण

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