जैसे की हम सब जानते है pitru paksha: Shradh आरम्भ हो गए है, बहुत से लोगों को पितृ दोष होता है। लेकिन उनको pitra dosh के बारे में नही पता होता और वह हमेशा दुखी रहते है। आज के इस लेख में आप जानेगें amavasya kab hai, पितृ दोष का मतलब क्या है? ( pitra dosh meaning in hindi ) और pitra dosh ka upay के लिए आपको क्या करना चाहिए?
Sarva Pitru Amavasya सर्व पितृ अमावस्या 14 अक्टूबर 2023 को है। आश्विन मास की अमावस्या तिथि को सर्व पितृ अमावस्या के नाम से भी जाना जाता है। इस अमावस्या में पितरों के तर्पण का बड़ा महत्व माना गया है। शास्त्रों में इसे मोक्षदायिनी अमावस्या कहा गया है।
दोस्तों, आज के इस लेख हम आपको बतायेंगे pitra dosh क्यों होता है?
– जो लोग अपने पितरों की पूजा और श्राद्ध नहीं करते हैं, उनकी आने वाली पीढ़ी को पितृदोष लग जाता है।
– कहा जाता है पीपल के पेड़ पर पूर्वजों का वास होता है। अगर आपके परिवार में कोई पीपल के पेड़ को काटने का अपराध करता है तो तब भी आपके बच्चों को पितृदोष हो सकता है।
– अगर आप घर के बड़ों का अनादर करते हो तो भी आपकी आने वाली पीढ़ी को पितृदोष हो सकता है।
अगर किसी को Pitra dosh है तो उसे Pitra dosh ka upay करने के लिए Pitra stotra path करना चाहिए।
।। अथ पितृस्तोत्र ।।
— 1 —
अर्चितानाममूर्तानां पितृणां दीप्ततेजसाम् ।
नमस्यामि सदा तेषां ध्यानिनां दिव्यचक्षुषाम् ।।
हिन्दी अर्थ – जो सबके द्वारा पूजित, अमूर्त, अत्यन्त तेजस्वी, ध्यानी तथा दिव्यदृष्टि सम्पन्न हैं, उन पितरों को मैं सदा नमस्कार करता हूँ ।
— 2 —
इन्द्रादीनां च नेतारो दक्षमारीचयोस्तथा।
सप्तर्षीणां तथान्येषां तान् नमस्यामि कामदान् ।।
हिन्दी अर्थ – जो इन्द्र आदि देवताओं, दक्ष, मारीच, सप्तर्षियों तथा दूसरों के भी नेता हैं, कामना की पूर्ति करने वाले उन पितरो को मैं प्रणाम करता हूँ ।
— 3 —
मन्वादीनां च नेतार: सूर्याचन्दमसोस्तथा ।
तान् नमस्यामहं सर्वान् पितृनप्युदधावपि ।।
हिन्दी अर्थ – जो मनु आदि राजर्षियों, मुनिश्वरों तथा सूर्य और चन्द्रमा के भी नायक हैं, उन समस्त पितरों को मैं जल और समुद्र में भी नमस्कार करता हूँ ।
— 4 —
नक्षत्राणां ग्रहाणां च वाय्वग्न्योर्नभसस्तथा ।
द्यावापृथिवोव्योश्च तथा नमस्यामि कृताञ्जलि: ।।
हिन्दी अर्थ – नक्षत्रों, ग्रहों, वायु, अग्नि, आकाश और द्युलोक तथा पृथ्वी के भी जो नेता हैं, उन पितरों को मैं हाथ जोड़कर प्रणाम करता हूँ ।
— 5 —
देवर्षीणां जनितृंश्च सर्वलोकनमस्कृतान् ।
अक्षय्यस्य सदा दातृन् नमस्येहं कृताञ्जलि: ।।
हिन्दी अर्थ – जो देवर्षियों के जन्मदाता, समस्त लोकों द्वारा वन्दित तथा सदा अक्षय फल के दाता हैं, उन पितरों को मैं हाथ जोड़कर प्रणाम करता हूँ ।
— 6 —
प्रजापते: कश्पाय सोमाय वरुणाय च ।
योगेश्वरेभ्यश्च सदा नमस्यामि कृताञ्जलि: ।।
हिन्दी अर्थ – प्रजापति, कश्यप, सोम, वरूण तथा योगेश्वरों के रूप में स्थित पितरों को सदा हाथ जोड़कर प्रणाम करता हूँ ।
— 7 —
नमो गणेभ्य: सप्तभ्यस्तथा लोकेषु सप्तसु ।
स्वयम्भुवे नमस्यामि ब्रह्मणे योगचक्षुषे ।।
हिन्दी अर्थ – सातों लोकों में स्थित सात पितृगणों को नमस्कार है। मैं योगदृष्टिसम्पन्न स्वयम्भू ब्रह्माजी को प्रणाम करता हूँ ।
— 8 —
सोमाधारान् पितृगणान् योगमूर्तिधरांस्तथा ।
नमस्यामि तथा सोमं पितरं जगतामहम् ।।
हिन्दी अर्थ – चन्द्रमा के आधार पर प्रतिष्ठित तथा योगमूर्तिधारी पितृगणों को मैं प्रणाम करता हूँ। साथ ही सम्पूर्ण जगत् के पिता सोम को नमस्कार करता हूँ ।
— 9 —
अग्रिरूपांस्तथैवान्यान् नमस्यामि पितृनहम् ।
अग्रीषोममयं विश्वं यत एतदशेषत: ।।
हिन्दी अर्थ – अग्निस्वरूप अन्य पितरों को मैं प्रणाम करता हूँ, क्योंकि यह सम्पूर्ण जगत् अग्नि और सोममय है ।
— 10 —
ये तु तेजसि ये चैते सोमसूर्याग्रिमूर्तय: ।
जगत्स्वरूपिणश्चैव तथा ब्रह्मस्वरूपिण: ।।
तेभ्योखिलेभ्यो योगिभ्य: पितृभ्यो यतामनस: ।
नमो नमो नमस्तेस्तु प्रसीदन्तु स्वधाभुज ।।
हिन्दी अर्थ– जो पितर तेज में स्थित हैं, जो ये चन्द्रमा, सूर्य और अग्नि के रूप में दृष्टिगोचर होते हैं तथा जो जगत्स्वरूप एवं ब्रह्मस्वरूप हैं, उन सम्पूर्ण योगी पितरो को मैं एकाग्रचित्त होकर प्रणाम करता हूँ । उन्हें बारम्बार नमस्कार है। वे स्वधाभोजी पितर मुझपर प्रसन्न हों ।
।। इति पितृ स्त्रोत समाप्त
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अगर किसी मनुष्य को पितृ दोष जैसी समस्या हो तो वे अपने पितरों को प्रसन्न करने के लिए अमावस्या, पूर्णिमा अथवा श्राद्ध पक्ष में पितृ स्तोत्र का पाठ करें। जो मनुष्य इस स्तोत्र का पाठ करता है। उसे मनोवांछित और उत्तम फल प्रदान होता है।
जो मनुष्य धन चाहता है, पुत्र को प्राप्त करना चाहता हो वो सदैव इस स्तुति का पाठ करके अपने पितरों को प्रसन्न करे।
इस पाठ को करने के लिए आप अपने घर में सुबह एवं शाम को दोनों समय एक सरसों के तेल का दीपक जलाकर श्रद्धा पूर्वक अर्थ सहित पाठ करें। इस पाठ से आपके जीवन के समस्त संकट दूर हो गये और आपके पितरों का आशीष सदैव आपके साथ रहेगा।
By: Meena Gautam
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