दोस्तों! आज की hindi kavita मत करो खिलवाड़ प्रकृति से ( hindi poem on nature ) पर है! आप सब देख ही रहे है किस तरह से लोग नए-नए आविष्कार करके इस प्रकृति की सुंदरता को नष्ट कर रहे है! आज हम poem on nature in hindi की सहायता से आप सब को समझाने का एक छोटा से प्रयास कर रहे है!
रुक जाओ अभी भी समय है
अगर आज नहीं रुके तो
कल बर्बाद कर देंगे हम,
जाने अंजाने प्रकृति से खिलवाड़ कर रहे है हम
प्रकृति के खिलाफ जा रहे है हम
उसुलो को तोड़ नए उसुल बनाने में जुट गए है हम,
क्या प्रकृति हमें माफ़ करेगी
कानून तोड़ कर कब तक हम बचेंगे,
कब तक प्रकृति ऐसे ही जुर्म सहेगी
कब तक हम ऐसे ही लापरवाह रहेंगे
जब कुदरत अपना रौद्र रूप दिखाएगी
सारे आविष्कार धरे के धरे रह जाएंगे,
और उस दिन नई रोशनी के साथ
प्रकृति अपने को फिर नया बनाएंगी
और फिर देर अंधेरे के बाद नया कल निकलेगा!
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by Shubhi Gupta ( शुभी गुप्ता )
Story and Poem Writer

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