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हाँ जी मैं हूँ अखबार – Poem on Newspaper

Poem on Newspaper

दोस्तों! आज के समय में अख़बारों ( Newspaper ) में जो ख़बरें आती हैं और कुछ खबरें तो ऐसे होती जिसे पढकर हम बहुत दुखी हो जाते है, ( poem on newspaper ) आज हम उसी पर ही आपके लिए हिंदी कविता ( hindi poem ) “हाँ जी मैं हूँ अखबार” लेकर आए है !

हाँ जी मैं हूँ अखबार

रोज आपके घर

लाऊ खबरों का भंडार,Newspaper on WhatsApp 2.19.352

कहीं हो रेप कहीं हो चोरी

सारी खबरें सुर्खियां बना कर, 

आप तक लाऊ कभी मैं आपकीआवाज बन

लोगो तक आपका संदेश पहुंचाऊं

आपकोNewspaper on Messenger 1.0 सीधा जनता से जोड़ जाऊ,

जो अफसर गहरी नीद में सो

गुनाह Newspaper on WhatsApp 2.19.352को देख ना पाए

उन्हें नीद से मैं जगाऊ,

सरकार के काले चिट्ठे भी खोल 

जनता तक पहुंचा जनता को आइना दिखाऊं,

बच्चो के लिए मैं नई-नई कहानियां लाऊ

यहां तक कि पहेलीNewspaper on Messenger 1.0 से उनको नई सीख मैं सिखाऊँ,

मैं हूं लोकतन्त्र का चौथा सतंभ

जनता की ताक़त हूं

बुराई पर हावी हूँ

हाँ जी मैं हूँ अखबार!Newspaper on WhatsApp 2.19.352Newspaper on Messenger 1.0

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 by Shubhi Gupta ( शुभी गुप्ता )

Story and Poem Writer

 

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धन्यवाद !

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