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हाँ जी मैं हूँ अखबार – Poem on Newspaper

Poem on Newspaper

दोस्तों! आज के समय में अख़बारों ( Newspaper ) में जो ख़बरें आती हैं और कुछ खबरें तो ऐसे होती जिसे पढकर हम बहुत दुखी हो जाते है, ( poem on newspaper ) आज हम उसी पर ही आपके लिए हिंदी कविता ( hindi poem ) “हाँ जी मैं हूँ अखबार” लेकर आए है !

हाँ जी मैं हूँ अखबार

रोज आपके घर

लाऊ खबरों का भंडार,

कहीं हो रेप कहीं हो चोरी

सारी खबरें सुर्खियां बना कर, 

आप तक लाऊ कभी मैं आपकीआवाज बन

लोगो तक आपका संदेश पहुंचाऊं

आपको सीधा जनता से जोड़ जाऊ,

जो अफसर गहरी नीद में सो

गुनाह को देख ना पाए

उन्हें नीद से मैं जगाऊ,

सरकार के काले चिट्ठे भी खोल 

जनता तक पहुंचा जनता को आइना दिखाऊं,

बच्चो के लिए मैं नई-नई कहानियां लाऊ

यहां तक कि पहेली से उनको नई सीख मैं सिखाऊँ,

मैं हूं लोकतन्त्र का चौथा सतंभ

जनता की ताक़त हूं

बुराई पर हावी हूँ

हाँ जी मैं हूँ अखबार!

दोस्तों ! कविता अगर दिल को छूह जाये, तो शेयर ज़रूर कीजियेगा। 


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 by Shubhi Gupta ( शुभी गुप्ता )

Story and Poem Writer

 

आज की हमारी poem “हाँ जी मैं हूँ अखबार  कैसी लगी? आप अपने comments के माध्यम से हमें बता सकते है! ऐसी ही अन्य Hindi poem, article, motivational story, quotes, thoughts, या inspire poem इत्यादि पढ़ने के लिए हमें follow ज़रूर करें!

धन्यवाद !

Author (लेखक)

  • Mrs Shubhi Gupta

    शुभी गुप्ता को कवितायेँ और शायरी में पिछले 5+ साल का अनुभव है। कविता, घरेलु उपाए, महिलाओं पर लिखना इनका पसंदीदा विषय है। इसके अलावा इनको अलग-अलग जगह घूमना और वहां के लोगों से मिलकर उनकी संस्कृति के बारे में जानना बहुत पसंद है। ये खाली समय में लिखना पसंद करती हैं। आकृति से आप lifewingz से संपर्क कर सकते हैं।

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