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भुजंगासन के फायदे, विधि और सावधानियां | Bhujangasana (Cobra Pose Yoga)

Yoga in hindi

Yoga in Hindi: आज के इस लेख में हम बात करेंगे भुजंगासन के बारे में। भुजंगासन (cobra pose yoga) किस आसान को कहा जाता है। भुजंगासन के (Benefits of Bhujangasana) फायदे, विधि और सावधानियां क्या है?


स्वस्थ और निरोगी शरीर के लिए, अनुशासित जीवनशैली और नियमित रूप से व्यायाम करना बहुत जरूरी होता है। इसके लिए योगासन एक सर्वोत्तम पर्याय होता है। योगासन के विभिन्न आसन करने से न केवल शरीर स्वस्थ रहता है, बल्कि इससे, व्यक्ति की अनेक शारीरिक और मानसिक समस्याओं का समाधान भी मिल जाता है।
योगासन करने से तनाव दूर होता है तथा मन की शांति और एकाग्रता बढ़ती है। आज हम योग के एक महत्वपूर्ण आसन के विषय में जानेंगे, जिसका नाम है भुजंगासन Bhujangasana. भुजंगासन, सूर्य नमस्कार के सभी आसनों में से सातवें क्रमांक का आसन है।

भुजंगासन क्या है? – What is Bhujangasana in Hindi?

भुजंगासन, हठ योग का ही एक प्रकार है। सूर्य नमस्कार में किए जाने वाले, आसनों में से एक भुजंगासन भी होता है। भुजंग का संस्कृत भाषा में अर्थ, सांप होता है। इस आसन में, हमें अपने शरीर के ऊपरी भाग को, दोनों हथेलियों की सहायता से, उपर उठाना होता है, जो एक फन निकाले हुए सांप की तरह दिखाई देता है। इसलिए इस आसन का नाम भुजंगासन रखा गया है। भुजंगासन को, सर्पासन या कोब्रा पोज़ (Cobra pose) भी कहा जाता हैं।


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भुजंगासन करने के फायदे – Bhujangasana Benefits in Hindi.

भुजंगासन का नियमित अभ्यास करने से होते हैं। ये फायदे चलिए जानते है:-

1. भुजंगासन करने से, हमारे शरीर का ऊपरी भाग, यानी कि गर्दन और पीठ का भाग पीछे की ओर खिंचा जाता है, जिससे रीढ़ की हड्डियों में लचीलापन आता है और पीठ का दर्द दूर होने के साथ साथ, पीठ से संबंधित अन्य कई परेशानियां भी दूर होती है।

2. भुजंगासन करते समय, जब हम सांस अंदर बाहर करते हैं, तो उस समय हमारे पेट के स्नायुओं और नाभी क्षेत्र पर भी प्रेशर पड़ता है, जिससे हमारी चयापचय की क्रिया सही होती है और हमें कब्ज, एसिडिटी, गैस इत्यादि परेशानियाें से भी राहत मिलती है इसके अलावा, भुजंगासन करने से पेट से जुड़ी कई बिमारियां भी दूर होती है।

3. प्रतिदिन भुजंगासन करने से महिलाओं को कई शारीरिक समस्याओं से निजात मिलती है। भुजंगासन, महिलाओं की मासिक धर्म यानी पिरियड से संबंधित समस्याओं को दूर करने में बहुत फायदेमंद होता है और मासिक धर्म में अनियमितता, अत्यधिक दर्द इत्यादि परेशानियाें से भी हमें राहत पहुंचाता है। भुजंगासन करने से, गर्भाशय का स्वास्थय बढ़ता है और गर्भाशय पुष्ट होता है।

4. नियमित रूप से भुजंगासन करने से, मोटापा दूर होता है और भुजंगासन, हमारी कमर, जांघों, हाथों और पेट की अतिरिक्त चर्बी को कम करके, शरीर को सुडौल और आकर्षक बनता है।

5. भुजंगासन करने से, छाती चौड़ी और मजबूत होती है और हमारे मस्तिष्क, पीठ और कंधों में भी बल आता है। साथ ही कंधों और गर्दन के स्नायु सक्षम होते हैं और उनका तनाव दूर होता है।

6. भुजंगासन करने से हमारे फेफड़े (लंग्स), लिवर और किडनी की क्षमता बढ़ती है। और शरीर में रक्त संचार भी तेज होता है।

7. नियमित रूप से, भुजंगासन करने से, हमारा श्वसनतंत्र मजबूत होता है और श्वसन संबंधित बिमारियों जैसे सायटिका और दमा आदि में राहत मिलती है।

8. भुजंगासन करने से, मानसिक तनाव दूर होता है, शारिरीक श्रम करने की क्षमता और उत्साह बढ़ता है, शरीर में चुस्ती-फुर्ती आती हैं, आलस्य कम होता है और थकावट भी दूर होती है।

भुजंगासन करने का तरीका – Steps to do Bhujangasana in Hindi.

किसी भी व्यायाम, एक्सरसाइज या योगासन को यदि सही तरीके से किया जाएं, तो ही हमारे शरीर को उसका कुछ लाभ मिल सकता हैं। खासकर योगासन करते समय तो हमें कुछ बातों का ध्यान रखना ही होता है।

योगासन चाहे कोई भी हो, यदि योग्य समय पर और सही तरीक़े से नहीं किया जाएं तो हमें इसके वांछित परिणाम नहीं मिलते है, और हमारे शरीर पर इसका दुष्परिणाम भी हो सकता हैं। भुजंगासन को भी, सही तरीके से, स्टेप बाय स्टेप, करना चाहिए, जिससे हमारे शरीर को, इसे करने के फायदे हो।

भुजंगासन करने के लिए, हमें इन स्टेप्स को फॉलो करना होगा।

– आसन या योगा मेट बिछाकर, जमीन पर, पेट के बल यानी उल्टा होकर लेट जाएं।

– दोनों पैरों को आपस में सटाकर, एकदम सीधा रखें। पैरों की उंगलियों को तानकर जमीन पर टिका कर रखें। आपका शरीर भी एक सीधी रेखा में होना चाहिए।

– अब अपने सिर को जमीन पर टिकाएं और अपनी ठोड़ी यानी चिन को छाती से लगाएं।

– अपने शरीर को ढीला छोड़ दें।

– दोनों हाथों के पंजों को छाती के पास लाएं।

इस स्थिति में आकर, फिर हम आगे का आसन शुरू करेंगे, यह आपकी आसन शुरू करने के पहले की स्थिति होती है।

– अब अपनी ठोड़ी को उपर उठाकर, सामने लेकर आएं जिससे आपका सिर भी सामने की ओर उपर उठेगा।

– दृष्टि आकाश की ओर स्थिर करके रखें।

– अब अपने शरीर का पूरा भार, अपने पंजों पर डालकर, कंधों से लेकर नाभी तक का भाग धीरे-धीरे उपर उठाएं। ध्यान रखें कि आपको नाभी उपर नहीं उठानी है वह जमीन पर ही टिकी रहनी चाहिए। और कमर के नीचे का भाग भी बिल्कुल स्थिर रहना चाहिए।

– करीब आठ से बारह सेकंड तक इसी स्थिति में रहने पर, सांस छोड़ते हुए, धीरे-धीरे अपनी पूर्व स्थिति में आ जाएं और अपना सिर वापस जमीन से टिकाएं।

– ध्यान रखें कि, यह पूरी प्रक्रिया आपको बहुत आराम से और धीरे-धीरे करनी है। इस पूरी क्रिया में, अपने श्वास लेने और छोड़ने की प्रक्रिया का भी विशेष ध्यान रखें। यानी कि, आपको शरीर का भाग उपर उठाते समय सांस अंदर खींचनी है और शरीर को वापस नीचे पूर्व स्थिति में लाते समय सांस छोड़ते हुए लाना है।

आप भुजंगासन को, थोड़ी थोड़ी देर रुककर कर सकते हैं। भुजंगासन को आप शुरू में अपनी क्षमता के अनुसार या एक बार में, चार से पांच बार कर सकते हैं और फिर धीरे-धीरे, अपनी क्षमतानुसार, संख्या और समय बढ़ाते जाएं।


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भुजंगासन के लिए कुछ सावधानियां – Precautions for Bhujangasana in Hindi.

कोई भी व्यायाम या योगासन करते समय हमेशा ध्यान रखें कि, जब तक हम इसके आदि नहीं हो जाते, तब तक हमें किसी योग शिक्षक या विशेषज्ञ की सलाह लेकर और उनकी देखरेख में ही इन्हें करना चाहिए। अपने मन से या किसी की देखा-देखी, बिना जानकारी के कोई भी आसन नहीं करना चाहिए। अपने शरीर की क्षमता और आवश्यकता के अनुसार ही आसन करना चाहिए। नहीं तो हमारे शरीर पर इसका कोई फायदा ना होकर, विपरित प्रभाव ही पड़ सकता है। इसी तरह भुजंगासन करते समय भी हमें कुछ सावधानियों का ध्यान जरूर रखना चाहिए। जैसे:-

– भुजंगासन करते समय ध्यान रखें कि, जब हम अपने शरीर को उपर उठाते और पीछे करते हैं, तब हमें उसे उतना ही खिंचना चाहिए, जितना हम आसानी से कर सकें। गर्दन को भी उतना ही मोड़ें, कि उसमें अतिरिक्त प्रेशर ना पड़े।

– भुजंगासन करते समय यदि हमारे पेट या पीठ में किसी तरह का दर्द होने लगें या अस्वस्थता महसूस हो, तो यह आसन ना करें।

– कुछ विशेष परिस्थितियों में भुजंगासन बिल्कुल भी नहीं करना चाहिए। जैसे:- यदि आपकी पीठ में अत्यधिक दर्द रहता है, पीठ या छाती की कोई हड्डी टूटी है, गर्भावस्था में, पेट में जख्म या हार्निया, अल्सर, थायराइड जैसे रोग होने पर भुजंगासन ना करें। यदि पेट का कोई ऑपरेशन हुआ है तो भी भुजंगासन ना करें।


निष्कर्ष:-

इसमें कोई दोराय नहीं है कि, योगासन करने से शरीर को अनगिनत लाभ होते हैं और कई बिमारियों को भी दूर किया जा सकता है, लेकिन हमेशा ध्यान में रखें कि सही मार्गदर्शन में ही योगासन करें तभी इसका लाभ होगा। एक और विशेष बात यह है कि, योगासन, किसी भी दवाई का पर्याय नहीं हो सकता है। जहां आपके शरीर को दवाई की जरूरत होती है, वहां पर दवाई जरुर लेनी चाहिए।


भुजंगासन (bhujangasana yoga) का शुरुवाती अभ्यास अपने योग शिक्षक की देख रेख में ही करें। और हमे जरूर बताएं, आपको हमारा यह लेख कैसा लगा?

Article by
Renuka Raje
Lifewingz.com

Image credit:- Canvafreepik

Author (लेखक)

  • Renuka Raje

    मेरा नाम Rehuka Raje है। अपनें विचारों को, शब्दों में पिरोकर कागज़ पर उतारना मुझे बहुत अच्छा लगता हैं। मेरी सभी रचनाएं, हमारे दैनिक जीवन में घटित होने वाली घटनाओं पर ही आधारित होती हैं, अतः आप सभी से निवेदन हैं कि पसंद या नापसंद आने पर भी अपनी प्रतिक्रिया अवश्य दें।🙏

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