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Shiv Shakti Point On Moon: लाखों किलोमीटर दूर चंद्रमा की सतह पर एक प्वाइंट का नाम रखा गया “शिव शक्ति”, जानिए कब, कैसे और क्यों?

Shiv Shakti Point

Shiv Shakti Point On Moon: जिस स्थान पर चंद्रयान-3 के लैंडर विक्रम ने कदम रखा, उसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शिव शक्ति प्वाइंट नाम दिया। इसके अलावा जिस जगह पर चंद्रयान-2 का लैंडर दुर्घटनाग्रस्त हुआ, उसका नाम तिरंगा प्वाइंट रखा गया है। आइए जानते हैं चंद्रमा की सतह के इन प्वाइंट का नाम क्यों रखा गया।



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भारत के तीसरे चंद्र मिशन, जिसे चंद्रयान-3 के नाम से जाना जाता है, ने अंतरिक्ष विज्ञान में बड़ी धूम मचा दी है। चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर सफलतापूर्वक उतरकर भारत अमेरिका, रूस और चीन सहित विशिष्ट महाशक्तियों में शामिल हो गया है। चंद्रयान-3 के ‘विक्रम’ लैंडर द्वारा भेजी जा रही तस्वीरों में दुनिया चांद का वह हिस्सा देख पा रही है, जहां अब तक कोई नहीं पहुंच सका है।

चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर चंद्रयान-3 लैंडर के उतरने के स्थान का नाम शिव शक्ति पॉइंट (Chandrayaan Shiv Shakti Point ) होगा, साथ ही 2019 में चंद्रयान-2 लैंडर के चंद्रमा की सतह पर क्रैश लैंडिंग के स्थान का नाम “तिरंगा पॉइंट” होगा। इतना ही नहीं, बल्कि पीएम मोदी ने अंतरिक्ष अन्वेषण के क्षेत्र में एक ऐतिहासिक उपलब्धि को मान्यता देते हुए, 23 अगस्त को चंद्रयान -3 लैंडिंग के दिन को भारत में राष्ट्रीय अंतरिक्ष दिवस (National Space Day) के रूप में घोषित किया।

यह एक वैज्ञानिक परंपरा है कि जिस जगह लैंडर उतरता है उसका नामकरण किया जाता है। यह नामकरण आमतौर पर उस देश के राष्ट्रीय महत्व के स्थल या व्यक्ति के नाम पर किया जाता है।

चंद्रयान-3 की लैंडिंग साइट का नाम “शिव शक्ति” रखा गया है, जो भारत के प्राचीन इतिहास और संस्कृति के प्रति सम्मान का प्रतीक है।

चंद्रयान-2 की लैंडिंग साइट को “तिरंगा” नाम (Tiranga Point on Moon) दिया गया है, जो भारत के राष्ट्रीय ध्वज का प्रतीक है। यह नाम चंद्रयान-2 के प्रयासों को याद रखने के लिए रखा गया है, भले ही यह सफल नहीं रहा।

चंद्रयान-1 की लैंडिंग साइट को “जवाहर पॉइंट” नाम दिया गया था, जो भारत के पहले प्रधान मंत्री जवाहरलाल नेहरू के नाम पर रखा गया था। यह नामकरण एक राजनीतिक निर्णय था, जिसे कुछ लोगों ने वैज्ञानिक परंपरा के उल्लंघन के रूप में देखा।

भारत का तीसरा चंद्रमा मिशन, चंद्रयान -3, 14 जुलाई को दोपहर 2.35 बजे श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र के दूसरे लॉन्च पैड से लॉन्च व्हीकल मार्क -3 (एलवीएम -3) रॉकेट पर सफलतापूर्वक लॉन्च किया गया था।

“शिव शक्ति प्वाइंट” नाम का चयन भारत के प्राचीन इतिहास और संस्कृति के प्रति सम्मान के प्रतीक के रूप में किया गया है। शिव शक्ति को हिंदू धर्म में भगवान शिव और देवी पार्वती के संयुक्त रूप के रूप में जाना जाता है। शिव को शक्ति और शक्ति के देवता के रूप में पूजा जाता है, जबकि पार्वती को प्रेम और करुणा की देवी के रूप में पूजा जाता है।

इस प्रकार, “शिव शक्ति प्वाइंट” नाम चंद्रयान-3 के सफल लैंडिंग को भारत की ताकत और शक्ति का प्रतीक माना जाता है। यह नाम भारत के लोगों के लिए प्रेरणा का स्रोत भी है, जो देश को नई ऊंचाइयों पर ले जाएगा। 

चंद्रयान-3 के विक्रम लैंडर की लैंडिंग साइट को अब शिव शक्ति पॉइंट (Shiv Shakti Point ) कहा जाएगा, जो विज्ञान और आध्यात्मिकता के संयोजन का प्रतीक है। यह नाम हिंदू पौराणिक कथाओं से लिया गया है और इस विचार का प्रतिनिधित्व करता है कि मानव दृढ़ संकल्प शिव की अवधारणा का एक अनिवार्य पहलू है, और उस दृढ़ संकल्प को पूरा करने की क्षमता शक्ति से आती है। ‘शक्ति’ शब्द का तात्पर्य महिला वैज्ञानिकों की कड़ी मेहनत, प्रेरणा और सशक्तिकरण से है।

शिव शक्ति पॉइंट की खोज भारत के चंद्रयान-3 मिशन ने की है। चंद्रयान-3 का लैंडर विक्रम ने 23 अगस्त, 2023 को इस स्थान पर सफलतापूर्वक लैंडिंग की थी। इस प्रकार, शिव शक्ति पॉइंट की खोज का श्रेय भारत के वैज्ञानिकों और इंजीनियरों को जाता है।

शिव शक्ति पॉइंट की खोज 23 अगस्त, 2023 को हुई थी, जब भारत के चंद्रयान-3 रोवर, प्रज्ञान ने इसे चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर खोजा। इस जगह का नाम 26 अगस्त, 2023 को बेंगलुरु में स्थित इसरो टेलीमेट्री, ट्रैकिंग और कमांड नेटवर्क मुख्यालय में रखा गया था। भारत चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर सॉफ्ट लैंडिंग करने वाला पहला देश और चंद्रमा की सतह पर सफल सॉफ्ट लैंडिंग करने वाला चौथा देश बन गया।

भारत के चंद्रयान-3 रोवर, प्रज्ञान ने शिव शक्ति पॉइंट की खोज की। चंद्रयान-3 रोवर को चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव को खोजने के लिए भेजा गया था। 23 अगस्त, 2023 को रोवर ने चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर एक उपयुक्त स्थान की पहचान की और वहां उतरा।

चंद्रमा की सतह का अध्ययन करने के लिए रोवर को विभिन्न प्रकार के उपकरणों से सुसज्जित किया गया था। उनमें एक कैमरा, एक स्पेक्ट्रोमीटर और एक जीपीएस था। इन उपकरणों का उपयोग करके रोवर ने शिव शक्ति पॉइंट की खोज की।

चंद्रयान-3 के प्राथमिक उद्देश्य हैं:

* चंद्रमा की सतह पर सुरक्षित और सॉफ्ट लैंडिंग प्रदर्शित करना।

* चंद्रमा पर घूमने की क्षमताओं का प्रदर्शन करना।

* चंद्रमा की सतह पर यथास्थान वैज्ञानिक प्रयोग करना।

*चंद्रयान-3 का उद्देश्य चांद के दक्षिणी ध्रुव पर स्थित जल के संकेतों का अध्ययन करना। 

पीएम मोदी ने अपने भाषण में कहा कि मंगलयान और चंद्रयान की सफलता और गगनयान की तैयारी ने देश को नया मिजाज दे दिया है। 23 अगस्त का दिन भारत के लिए एक ऐतिहासिक दिन है, क्योंकि इस दिन भारत ने चंद्रमा पर तिरंगा फहराया है। हर साल भारत इस दिन को राष्ट्रीय अंतरिक्ष दिवस (National Space Day) के रूप में मनाएगा। 

उन्होंने कहा कि आज भारत के छोटे-छोटे बच्चों की जुंबा पर चंद्रयान का नाम है। आज भारत का बच्चा अपने वैज्ञानिकों में भविष्य देख रहा है।

पीएम मोदी के इस ऐलान से भारत में अंतरिक्ष विज्ञान और प्रौद्योगिकी के प्रति लोगों की जागरूकता बढ़ेगी और युवा पीढ़ी को अंतरिक्ष अनुसंधान में अपना करियर बनाने के लिए प्रेरणा मिलेगी। 


चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर चंद्रयान-3 की लैंडिंग भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम के लिए एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है। दक्षिणी ध्रुव चंद्रमा का एक क्षेत्र है जिसकी अन्य देशों द्वारा अधिक खोज नहीं की गई है, और इसे पानी का एक संभावित स्रोत माना जाता है। चंद्रयान-3 द्वारा एकत्र किए गए डेटा से वैज्ञानिकों को चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव और उसके संभावित संसाधनों के बारे में अधिक जानने में मदद मिलेगी।

उम्मीद करते है आपको यह लेख पसंद आया होगा। इस लेख में हम ने चंद्रयान-3 और शिव शक्ति पॉइंट के बारे में विस्तार से जानकारी दी है। आने वाले समय में बच्चों को चंद्रयान-3 और शिव शक्ति पॉइंट से जुड़े विषय पढ़ाए जाएंगे।

Image Credit:- Devdiscourse

Author (लेखक)

  • Lifewingz Team

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