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Karva Chauth 2024: करवा चौथ पर छलनी से चांद देखने की प्रथा क्यों है?

Karva Chauth

Karva Chauth 2022: हिंदू धर्म में ऐसा कहा जाता है कि कई विवाहित महिलाएं अपने पति की मंगलकामना के लिए कई व्रत रखती हैं, जिनमें से एक करवा चौथ व्रत है, जो हर साल कार्तिक महीने में कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को मनाया जाता है। यह व्रत दांपत्य जीवन में सुख और प्रेम की वृद्धि करता है और पति के जीवन में वृद्धि करने वाला माना जाता है।

करवा चौथ व्रत पर विवाहित महिलाएं पूरा दिन निर्जल व्रत करके शाम को छलनी से चंद्रमा को देखती है। चन्द्र देव के दर्शन करने के बाद ही महिलाएं अपना व्रत खोलती है। क्या आप जानते है चांद को छलनी से देखने के पीछे का रहस्य? अगर नहीं तो आज इस लेख में हम आपको इस रहस्य के बारे में बताए गए। 

करवा चौथ व्रत की कथा के अनुसार एक साहूकार के सात बेटे और एक बेटी थी। बेटी का नाम करवा था। साहूकार के बेटे अपनी बहन से बहुत प्रेम करते थे यहां तक कि वे पहले उसे खाना खिलाते और बाद में स्वयं खाते थे। एक बार उनकी बहन करवा चौथ पर ससुराल से मायके आई हुई थी। करवा ने भी करवा चौथ का व्रत रखा हुआ था। 

रात के समय जब साहूकार के सभी बेटे भोजन करने बैठे तो उन्होंने अपनी बहन से भी भोजन कर लेने को कहा। इस पर बहन ने कहा- भाई, अभी चांद नहीं निकला है। चांद के निकलने पर उसे अर्घ्य देकर ही मैं आज भोजन करूंगी।

भाइयों ने बहन को भोजन कराने के लिए छल से चांद की बजाय छलनी की ओट में दीपक दिखाकर भोजन करवा दिया। बिना चाँद देखे व्रत तोड़ने के कारण करवा का व्रत भंग हो गया और उसका पति बहुत बीमार हो गया। जब करवा को इस छल का पता लगा तो वो अत्यंत दुखी हुई और उसने इससे उभरने और पति की लम्बी आयु के लिए पुरे साल चतुर्थी का व्रत रखने का प्रण ले लिया। इसके बाद आने वाली हर चतुर्थी पर विधि विधान से व्रत किया और जब फिर से करवा चौथ आई तब उसने अपने हाथ से छलनी के माध्यम से चाँद के दर्शन किये।

छलनी के जरिये चंद्रमा के बारीकी से दर्शन कर के वो आश्वत हुई कि इस बार उसका व्रत भंग नही हो पाया है। तब से यह परम्परा बन गयी की करवा चौथ की रात्रि व्रत धारी महिलाये छलनी से चन्द्र देवता को देखकर ही अपना व्रत खोलेगी।


13 अक्टूबर 2022 को कार्तिक कृष्ण चतुर्थी को देश भर में करवा चौथ का व्रत मनाया जाएगा। हिंदू धर्म में विवाहित महिलाओं के लिए इस व्रत का विशेष महत्व है। कई संप्रदायों में, कुवांरी लड़कियां भी एक अच्छा पति पाने के लिए यह व्रत रखती हैं।

व्रत विधि:- करवा चौथ व्रत निर्जला व्रत है, जिसका अर्थ है पूरे दिन न कुछ खाना और न कुछ पीना। शाम में भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा की जाती है। इसके साथ ही करवा माता की पूजा की जाती है। रात को चांद देखकर अर्घ्य देते हैं और पति के हाथों से पानी पीकर व्रत खोलते हैं।

शगुन:- इस दिन विवाहित महिलाएं सुहाग का सामान, मिठाई, फल और पैसे पूजा के बाद अपनी सास को देते हैं और उनसे आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।

भोजन:- इस दिन पूड़ी सब्जी, खीर, फल और मिठाई के साथ भगवान को भोजन कराकर पति की लंबी उम्र की प्रार्थना की जाती है। बाद में यह भोजन सास या किसी बड़ी महिला को दिया जाता है। यदि यह संभव न हो तो इस भोजन को मंदिर में भी दे सकते है।

क्या न करें:- करवा चौथ व्रत के दिन पूरी तरह संतुष्ट और खुश रहें। किसी पर क्रोध न करें। किसी का दिल न दुखाएं। बुजुर्गों का विशेष ध्यान रखें। सफेद चीजें दान में न दें। नुकीली और काटने वाली चीजें जैसे, कैंची, चाकू आदि के प्रयोग से बचें।


इसी के साथ आज का हमारा ये लेख यहां समाप्त होता है। उम्मीद करती हूँ आपको ये लेख पसंद आया हो। ऐसी ही और जानकारी के लिए हमारी website lifewingz.com को follow करें।

By:- Pooja Chauhan
Image Credit:- Canva

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