Skip to content

Utpanna Ekadashi Vrat Katha in Hindi | उत्पन्ना एकादशी की कहानी

Utpanna Ekadashi Vrat Katha

Utpanna Ekadashi Vrat Katha: उत्पन्ना एकादशी के दिन ही देवी एकादशी का जन्म हुआ था। इस दिन भगवान विष्णु की विधि-विधान से पूजा की जाती है। आज के लेख में आप उत्पन्ना एकादशी व्रत कथा, Utpanna ekadashi vrat vidhi क्या है यही सब जानेंगे।

उत्पन्ना एकादशी सबसे प्रसिद्ध एकादशियों व्रतों में से एक है। इस व्रत को करने से व्यक्ति के सभी पाप नष्ट हो जाते हैं और मोक्ष की प्राप्ति होती है। उत्पन्ना एकादशी (Ekadashi vrat) के दिन भगवान विष्णु की पूजा की जाती है। इस दिन विधि-विधान से भगवान विष्णु की पूजा करने से व्यक्ति को सुख, शांति और धन की प्राप्ति होती है।


2023 में उत्पन्ना एकादशी दो दिन मनाई जाएगी:

प्रथम उत्पन्ना एकादशी: शुक्रवार, 8 दिसंबर 2023 को सुबह 5:06 बजे से शुरू होकर शनिवार, 9 दिसंबर 2023 को सुबह 6:31 बजे समाप्त होगा।

द्वितीय उत्पन्ना एकादशी: शनिवार, 9 दिसंबर, 2023 को सुबह 6:31 बजे से शुरू होकर रविवार, 10 दिसंबर, 2023 को सुबह 5:35 बजे समाप्त होगा।

उत्पन्ना एकादशी की कथा बहुत ही प्राचीन है। इस कथा के अनुसार, सतयुग में मुर नाम का एक प्रतापी दैत्य हुआ। वह बहुत ही बलवान और अत्याचारी था। उसने देवताओं को पराजित करके उनका स्वर्ग छीन लिया। देवता भयभीत होकर भगवान शिव के पास गए और उनसे सहायता मांगी।

भगवान शिव ने देवताओं को कहा कि उत्पन्ना एकादशी के दिन विधि-विधान से भगवान विष्णु की पूजा करें। देवताओं ने भगवान शिव की बात मान ली और उत्पन्ना एकादशी का व्रत रखा। व्रत के प्रभाव से भगवान विष्णु प्रसन्न हुए और उन्होंने मुर दैत्य का वध करके देवताओं को उनका स्वर्ग वापस दिला दिया।

इस कथा से यह शिक्षा मिलती है कि उत्पन्ना एकादशी का व्रत बहुत ही फलदायी व्रत है। इस व्रत को रखने से व्यक्ति के सभी पापों का नाश हो जाता है और मोक्ष की प्राप्ति होती है।

उत्पन्ना एकादशी की कथा का एक अन्य संस्करण भी है। इस संस्करण के अनुसार, एक समय में एक राजा था जिसका नाम नल था। वह बहुत ही धर्मनिष्ठ और प्रजापालक राजा था। उसकी पत्नी का नाम दमयंती था। दमयंती बहुत ही सुंदर और गुणवान स्त्री थी।

एक दिन मुर दैत्य ने दमयंती का हरण कर लिया। नल बहुत ही दुखी हुए और उन्होंने भगवान विष्णु से सहायता मांगी। भगवान विष्णु ने नल को बताया कि उत्पन्ना एकादशी का व्रत रखने से वह अपना हरण वापस पा सकता है।

नल ने भगवान विष्णु की बात मान ली और उत्पन्ना एकादशी का व्रत रखा। व्रत के प्रभाव से भगवान विष्णु प्रसन्न हुए और उन्होंने मुर दैत्य का वध करके दमयंती को नल को वापस दिला दिया।

इस कथा से यह शिक्षा मिलती है कि उत्पन्ना एकादशी का व्रत सभी प्रकार के कष्टों से मुक्ति दिलाता है। इस व्रत को रखने से व्यक्ति को सुख, समृद्धि और मोक्ष की प्राप्ति होती है।

Read also: Mahalaxmi Katha: माता लक्ष्मी जी के प्रकट होने की कथा

उत्पन्ना एकादशी व्रत की विधि इस प्रकार है:

– सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
– भगवान विष्णु का ध्यान करें और व्रत का संकल्प लें।
– शाम को भगवान विष्णु की पूजा करें।
– पूजा में भगवान विष्णु को फूल, धूप, दीप, नैवेद्य आदि अर्पित करें।
– भगवान विष्णु की आरती करें।
– भगवान विष्णु से अपने मन की इच्छा मांगें।
– रात को सोने से पहले भगवान विष्णु का नाम जप करें।

उत्पन्ना एकादशी का व्रत का पारण द्वादशी तिथि के दिन किया जाता है। व्रत पारण करने की विधि इस प्रकार है:

— द्वादशी तिथि के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और साफ कपड़े पहनें।
— भगवान विष्णु की मूर्ति या तस्वीर के सामने बैठें।
— भगवान विष्णु का ध्यान करें और व्रत खोलने का संकल्प लें।
— भगवान विष्णु को फल, मिठाई आदि अर्पित करें।
— ब्राह्मणों को भोजन और दान दें।
— तुलसी दल खाकर व्रत खोलें।

व्रत पारण करते समय निम्न मंत्र का जाप करें:

“ऊँ नमो भगवते वासुदेवाय”

– इस व्रत को करने से मनुष्य के सभी पाप नष्ट हो जाते हैं।
– इस व्रत को करने से व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति होती है।
– इस व्रत को करने से व्यक्ति के जीवन में सुख, समृद्धि और शांति बनी रहती है।
– इस व्रत को करने से मनोकामनाएं पूरी होती हैं।

– इस व्रत के दिन व्रती को ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए।
– इस व्रत के दिन व्रती को क्रोध, अहंकार आदि दुर्गुणों से बचना चाहिए।
– इस व्रत के दिन व्रती को भगवान विष्णु की पूजा और भजन-कीर्तन करना चाहिए।


उत्पन्ना एकादशी का व्रत बहुत ही फलदायी व्रत है। इस व्रत को रखने से व्यक्ति को कई लाभ मिलते हैं। इस व्रत से व्यक्ति के सभी पापों का नाश हो जाता है और मोक्ष की प्राप्ति होती है। साथ ही इस व्रत से व्यक्ति के जीवन में सुख-शांति और समृद्धि बनी रहती है।

Image Credit:- VedicFeed

Author (लेखक)

  • Mrs. Minakshi Verma

    मैं, मिनाक्षी वर्मा, पेशे से हिंदी ब्लॉगर हूँ और इस क्षेत्र में मुझे काफी अनुभव हो चुका है। मैं  डाइट-फिटनेस, धार्मिक कथा व्रत, त्यौहार, नारी शक्ति आदि पर लिखती हूँ। इसके इलावा फूड, किड्स बुक्स, और महिलाओं के फैशन के बारे में लिखना मेरे पसंदीदा विषय है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *