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गरीब किसान की बेटी कहानी |असफलता से सफलता की कहानी

Garib kishan ki beti

Garib Kishan ki Beti:- आज की हिंदी कहानी एक किसान पर केंद्रित है जो कठिनाइयों का सामना करता है और अपने जीवन में अवांछित विकल्प चुनने के लिए मजबूर होता है। उम्मीद है आपको यह कहानी पसंद आएगी। क्या आपको जादू की कहानी भी पसंद है। अगर है तो इस कहानी को जरूर पढ़ें:- जादुई तेल का चमत्कार 

एक बार की बात है, एक गाँव में एक गरीब किसान रहता था। उसका नाम बलदेव था। उसके पास बहुत छोटी सी जमीन थी और वह उस पर खेती करके अपना परिवार पालता था। बलदेव बहुत मेहनती था, लेकिन उसकी जमीन बहुत कम थी और वह हमेशा कर्ज में रहता था।

एक दिन, बलदेव की जमीन पर सूखा पड़ गया। उसकी फसल नष्ट हो गई और वह बहुत परेशान हो गया। वह अपने परिवार को कैसे खिलाएगा, यह सोचकर वह रात को सो नहीं पाया।

अगले दिन, बलदेव ने अपने गाँव के ठाकुर से मदद माँगी। ठाकुर एक बहुत ही लालची व्यक्ति था। उसने बलदेव से कहा, “तुम मेरी ज़मीन पर खेती करो और फसल का आधा हिस्सा मुझे दे दो।” 

बलदेव बहुत परेशान था, लेकिन उसके पास कोई और रास्ता नहीं था। उसे ठाकुर की बात माननी पड़ी। वह ठाकुर की ज़मीन पर खेती करने लगा।

बलदेव ने बहुत मेहनत की और फसल बहुत अच्छी हुई। फसल काटने के बाद, ठाकुर ने बलदेव से कहा, “तुमने मेरी ज़मीन पर बहुत अच्छी फसल उगाई है। मैं तुमसे फसल का आधा हिस्सा नहीं माँगूँगा। लेकिन तुम अपनी बेटी का ब्याह मुझ से कर दो।”

बलदेव बहुत हैरान था। वह ठाकुर की बात सुनकर बहुत परेशान हो गया। वह अपनी बेटी को ठाकुर के साथ नहीं ब्याहना चाहता था।

बलदेव ने ठाकुर से कहा, “मैं अपनी बेटी को आपके साथ नहीं ब्याह सकता।”

ठाकुर बहुत गुस्सा हो गया। उसने बलदेव को धमकी दी, “अगर तुमने मेरी बात नहीं मानी तो मैं तुम्हारी जमीन और तुम्हारा घर ले लूँगा।”

बलदेव बहुत डर गया। उसे अपनी बेटी और परिवार की चिंता थी। उसे ठाकुर की बात माननी पड़ी।

बलदेव ने अपनी बेटी को ठाकुर के साथ ब्याह दिया। बलदेव की बेटी का नाम मीना था। मीना बहुत सुंदर और गुणवान लड़की थी। लेकिन वह बहुत दुखी थी कि उसे ठाकुर के साथ ब्याह दिया गया है।

ठाकुर एक बहुत ही क्रूर व्यक्ति था। वह मीना को बहुत सताता था। वह उसे घर के सभी काम करवाता था। वह उसे कभी भी आराम नहीं करने देता था।

मीना बहुत दुखी थी। वह अपने पिता के पास जाना चाहती थी, लेकिन वह नहीं जा सकती थी। क्योंकि ठाकुर ने मीना को धमकी दी थी कि अगर मीना उसके घर से भागी तो वह बलदेव को मार डालेगा।

एक दिन, मीना ने ठाकुर के घर से भागने का फैसला किया। वह रात में घर से निकल गई। वह जंगल में भाग रही थी कि उसे एक साधु मिला। साधु ने मीना को देखा और उसे रोका।

साधु ने मीना से पूछा, “तुम इतनी रात को अकेली जंगल में क्या कर रही हो?”

मीना ने साधु को अपनी सारी कहानी बता दी।

साधु मीना को अपने आश्रम में ले गया। उसने मीना को भगवान का भजन करने और ध्यान करने की सलाह दी।

मीना ने साधु की बात मान ली। वह दिन भर भगवान का भजन करती और ध्यान करती थी। वह बहुत खुश थी कि अब वह ठाकुर के घर से भाग गई है।

एक दिन, साधु ने मीना को एक जादुई अंगूठी दी। उसने मीना से कहा, “यह अंगूठी बहुत ही शक्तिशाली है। जब तुम इस अंगूठी को पहनोगी तो तुम अदृश्य हो जाओगी।”

मीना ने अंगूठी पहन ली। वह अंगूठी पहनकर ठाकुर के घर गई। उसने ठाकुर को सबक सिखाने के लिए एक योजना बनाई।

मीना ने ठाकुर के घर में आग लगा दी। आग बहुत तेजी से फैल गई। ठाकुर घर में फंस गया। वह आग से बच नहीं पाया और जलकर मर गया।

गाँव के लोग ठाकुर के मरने से बहुत खुश हुए। उन्होंने मीना को धन्यवाद दिया।

मीना ने अपने पिता के घर जाकर उन्हें सब कुछ बताया। बलदेव बहुत खुश हुए। उन्होंने मीना को माफ़ कर दिया।

मीना अपने पिता के साथ रहने लगी। वह बहुत खुश थी कि उसे अपने पिता का आशीर्वाद मिल गया था। वह अपने पिता के घर में अपना समय बिताने लगी। वह अपने पिता की देखभाल करती थी और उन्हें खुश रखती थी।

मीना ने अपने पिता से कहा कि वह एक नया जीवन शुरू करना चाहती है। वह एक अच्छी शिक्षा प्राप्त करना चाहती है और एक अच्छा काम करना चाहती है।

बलदेव ने मीना की बात सुनकर उसे प्रोत्साहित किया। उन्होंने मीना को बताया कि वह उसके साथ है और वह हमेशा उसकी मदद करेगे।

मीना ने एक कॉलेज में दाखिला लिया और पढ़ाई शुरू कर दी। वह बहुत मेहनती थी और उसने अच्छी तरह से पढ़ाई की। उसने कॉलेज से अच्छे अंकों से स्नातक की उपाधि प्राप्त की।

मीना ने एक अच्छी कंपनी में नौकरी पा ली। वह एक सफल महिला बन गई। वह अपने पिता के लिए गर्व का विषय थी।

मीना ने कभी भी अपने अतीत को नहीं भुलाया। उसने अपने अनुभवों से सीखा और एक बेहतर इंसान बन गई। वह हमेशा दूसरों की मदद करने के लिए तैयार रहती थी।

Moral of the Story in Hindi: मीना की कहानी हमें सिखाती है कि हमें अपने अतीत से नहीं डरने चाहिए। हम अपने अनुभवों से सीख सकते हैं और एक बेहतर इंसान बन सकते हैं।


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